व्याकरण शब्द संस्कृत धातु “व्या + कृ” से बना है, जिसका अर्थ है – ‘विस्तार से करना’ या ‘सही रूप देना’। सरल शब्दों में, व्याकरण भाषा के सही प्रयोग का नियम है। जैसे शरीर को सही रूप देने के लिए हड्डियों का ढांचा आवश्यक है, वैसे ही भाषा को व्यवस्थित और शुद्ध बनाने के लिए व्याकरण आवश्यक है।
व्याकरण का महत्व
भाषा तभी सुंदर और प्रभावी होती है जब उसका प्रयोग शुद्ध और व्यवस्थित रूप से किया जाए। यदि भाषा में व्याकरण का ध्यान न रखा जाए, तो अर्थ बदल सकता है या संप्रेषण में भ्रम उत्पन्न हो सकता है। व्याकरण भाषा को सही दिशा, अनुशासन और मानक प्रदान करता है।
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व्याकरण भाषा की रीढ़ है।
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यह भाषा को संगठित और व्यवस्थित करता है।
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यह लेखन, वाचन और संचार को स्पष्ट और प्रभावी बनाता है।
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यह भाषा को शुद्धता और एकरूपता प्रदान करता है।
व्याकरण की उपयोगिता
व्याकरण का महत्व केवल पढ़ाई-लिखाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दैनिक जीवन में भी बहुत उपयोगी है।
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शिक्षा में – विद्यार्थियों को शुद्ध भाषा लिखने और बोलने की क्षमता देता है।
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साहित्य में – कवि, लेखक और पत्रकार के लिए व्याकरण का ज्ञान अनिवार्य है, ताकि उनकी रचनाएँ प्रभावी और त्रुटिरहित हों।
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संचार में – व्याकरण सही प्रयोग से वाक्यों को स्पष्ट और सारगर्भित बनाता है।
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प्रतियोगी परीक्षाओं में – व्याकरण की गहन जानकारी सफलता के लिए आवश्यक है।
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समाज और संस्कृति में – यह भाषा की परंपरा और शुद्धता को बनाए रखता है।
✨ निष्कर्ष
व्याकरण केवल नियमों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह भाषा को सही, शुद्ध, सुंदर और प्रभावी बनाने की कला है। भाषा को संरचना देने और विचारों को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करने में व्याकरण की भूमिका आधारभूत और अनिवार्य है।
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