हिंदी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। देवनागरी लिपि ध्वन्यात्मक लिपि है, यानी जैसे उच्चारण किया जाता है, वैसे ही लिखा जाता है। हिंदी की वर्णमाला में स्वर और व्यंजन दोनों शामिल होते हैं। ये ही भाषा की नींव हैं और शब्द निर्माण का आधार बनते हैं।


1. स्वर (Vowels)

स्वर वे ध्वनियाँ हैं जिन्हें उच्चारित करते समय श्वास मार्ग में कहीं अवरोध नहीं होता।
हिंदी में कुल 13 स्वर माने जाते हैं।

👉 स्वर सूची :
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः

  • अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ = संक्षिप्त और दीर्घ स्वर

  • ए, ऐ, ओ, औ = संयुक्त स्वर (द्वित्व स्वर)

  • अं (अनुस्वार) = नासिक्य ध्वनि

  • अः (विसर्ग) = श्वासयुक्त ध्वनि

🔹 स्वर अपने आप में पूर्ण ध्वनि होते हैं, किसी अन्य वर्ण पर निर्भर नहीं रहते।


2. व्यंजन (Consonants)

व्यंजन वे ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण में स्वर की सहायता आवश्यक होती है और जिनके उच्चारण में वायु मार्ग में कहीं न कहीं अवरोध उत्पन्न होता है।
हिंदी में 33 मुख्य व्यंजन तथा कुछ संयुक्ताक्षर (क्ष, त्र, ज्ञ) मिलाकर लगभग 36 व्यंजन माने जाते हैं।

👉 व्यंजन सूची (33):
क, ख, ग, घ, ङ
च, छ, ज, झ, ञ
ट, ठ, ड, ढ, ण
त, थ, द, ध, न
प, फ, ब, भ, म
य, र, ल, व
श, ष, स, ह

👉 संयुक्त व्यंजन :
क्ष, त्र, ज्ञ


3. स्वर और व्यंजन का संबंध

  • स्वर = आत्मनिर्भर ध्वनि (स्वयं उच्चारित की जा सकती है)

  • व्यंजन = परनिर्भर ध्वनि (स्वर की सहायता से ही उच्चारित होते हैं)

उदाहरण :

  • “क” (व्यंजन) को अकेले उच्चारित नहीं किया जा सकता, इसे स्वर की सहायता चाहिए – जैसे क + अ = क

  • जबकि “अ” (स्वर) स्वयं बोला जा सकता है।


✨ निष्कर्ष

हिंदी वर्णमाला में स्वर और व्यंजन दोनों का संतुलित प्रयोग भाषा को सरल, सुंदर और अभिव्यक्तिपूर्ण बनाता है। स्वर जहाँ स्वतंत्रता का प्रतीक हैं, वहीं व्यंजन उनके साथ मिलकर शब्दों की रचना करते हैं।