भाषा मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। यह विचारों, भावनाओं और अनुभवों की अभिव्यक्ति का माध्यम है। मनुष्य अपनी भावनाओं को दूसरों तक पहुँचाने और दूसरों की बात समझने के लिए भाषा का प्रयोग करता है। यही कारण है कि भाषा को मानव सभ्यता और संस्कृति का आधार माना गया है।
भाषा का अर्थ
‘भाषा’ शब्द संस्कृत धातु “भाष्” से बना है, जिसका अर्थ है – बोलना या वाणी करना। सरल शब्दों में, भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करते हैं और दूसरों के विचारों को समझते हैं। भाषा केवल ध्वनियों का समूह नहीं, बल्कि यह सामाजिक व्यवहार, सांस्कृतिक परंपरा और मानवीय संबंधों को भी अभिव्यक्त करती है।
भाषा की परिभाषाएँ
विभिन्न विद्वानों ने भाषा की अलग-अलग परिभाषाएँ दी हैं –
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पाणिनि के अनुसार – “भाषा वह साधन है जिससे हम अपने विचार व्यक्त करते हैं।”
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फर्डिनेंड डी सॉस्यूर (Saussure) – “भाषा एक सामाजिक संस्था है जो संकेतों की प्रणाली पर आधारित है।”
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डॉ. सुनीति कुमार चट्टोपाध्याय – “भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान करता है।”
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महात्मा गांधी – “भाषा विचारों को स्पष्ट करने और समाज से जुड़ने का सबसे सरल माध्यम है।”
निष्कर्ष
भाषा केवल संचार का साधन नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, परंपरा और सभ्यता की वाहक भी है। यही मनुष्य को अन्य जीवों से अलग करती है और समाज को संगठित रूप प्रदान करती है।
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