आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, माननीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों,

आज हम सब यहाँ अपने देश का सबसे बड़ा पर्व स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं।
आज का दिन हमें हमारे वीर स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाता है।
15 अगस्त 1947 का वह ऐतिहासिक दिन, जब सदियों की गुलामी की जंजीरें टूट गईं और तिरंगा गर्व से लहराने लगा।

"सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है।"

हमारे देश के वीर सपूत — महात्मा गांधी, जिन्होंने सत्य और अहिंसा के बल पर आज़ादी की लड़ाई लड़ी,
भगत सिंह, जिन्होंने हँसते-हँसते फाँसी का फंदा चूमा,
चंद्रशेखर आज़ाद, जिन्होंने आखिरी सांस तक अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया,
और नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जिन्होंने नारा दिया — "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा"।

दोस्तों, आज हम आज़ाद हैं, लेकिन आज़ादी सिर्फ मिली हुई चीज़ नहीं है — यह जिम्मेदारी भी है।
आज हमें देश को भ्रष्टाचार, अशिक्षा, प्रदूषण और गरीबी जैसी बुराइयों से आज़ाद कराना है।
हम सबको अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी पालन करना होगा।

"जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा,
वो भारत देश है मेरा।"

आज के समय में, हमें अपने देश को विज्ञान, शिक्षा, खेल और संस्कार — हर क्षेत्र में आगे ले जाना है।
हम बच्चे ही आने वाले समय में डॉक्टर, इंजीनियर, सैनिक, और नेता बनेंगे।
इसलिए हमें पढ़ाई में मेहनत करनी है, ईमानदारी से काम करना है, और हर समय देश के प्रति निष्ठावान रहना है।

आओ, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सब मिलकर यह संकल्प लें —
हम अपने देश की एकता, अखंडता और गौरव की रक्षा करेंगे,
और भारत को "विश्वगुरु" बनाने में अपना योगदान देंगे।

जय हिंद! वंदे मातरम्!